चाहत जिन्दगी कि और हर पल का मरना
छटपटाती सी आरजू ..मगर मन्नत नहीं करना
बिन बात के रोना और सिसकना चुपके चुपके
यूँ जार जार होकर पल पल का बिखरना
तमाम दर्द मुट्ठी में लेकर यूँ जोरो से लेना भींच
जैसे किसी तडफते परिंदे को हाथो से क़त्ल करना
हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना
हर पल कि बेख्याली में बुनना रोज ख़्वाब नया
जैसे माटी के खिलोनो में रोज नया रंग भरना
मोहब्बत सिखा देती है मासूम दिल को
ये सब गुनाह .... बहुत संजीदगी से करना..
vandana singh
7-6 -2010
bahut shaandar, jaandaar, Bole to FULLON :-)
ReplyDeleteबिन बात के रोना और सिसकना चुपके चुपके
यूँ जार जार होकर पल पल का बिखरना
good one
हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना
this one is best
बिन बात के रोना और सिसकना चुपके चुपके
ReplyDeleteयूँ जार जार होकर पल पल का बिखरना
तमाम दर्द मुट्ठी में लेकर यूँ जोरो से लेना भींच
जैसे किसी तडफते परिंदे को हाथो से क़त्ल करना
हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना
wallahs! kya baat hai. bahut achchha likha hai, padh kar mazaa aa gaya
kya baat kya baat kya baat!
ReplyDeleteहर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना
हर पल कि बेख्याली में बुनना रोज ख़्वाब नया
जैसे माटी के खिलोनो में रोज नया रंग भरना
मोहब्बत सिखा देती है मासूम दिल को
ये सब गुनाह .... बहुत संजीदगी से करना.. beautiful lines...you reach heart..:)
thanks a lott aap sabhi ka yahan tak aane or sarahne ke liye thanks :)
ReplyDeleteतमाम दर्द मुट्ठी में लेकर यूँ जोरो से लेना भींच
ReplyDeleteजैसे किसी तडफते परिंदे को हाथो से क़त्ल करना
हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना
लाजवाब
मोहब्बत सिखा देती है मासूम दिल को
ये सब गुनाह .... बहुत संजीदगी से करना. वाह बहुत खूब बधाई वन्दना जी।
हर पल कि बेख्याली में बुनना रोज ख़्वाब नया
ReplyDeleteजैसे माटी के खिलोनो में रोज नया रंग भरना
क्या ख्वाब हैं ..
क्या एहसास हैं ..
बहुत खूब
मोहब्बत सिखा देती है मासूम दिल को
ReplyDeleteये सब गुनाह .... बहुत संजीदगी से करना..
sahi farmaya.... khub likha hai..