ek kamjor si najm hai ..sayad isme bhi kuch sudhar ho sakta tha ..par nahi kiya uske liye sorry ..jhelo aap sab :)
चुराए थे कुछ रंग
कल सांझ इन्द्र धनुस से
कुछ तितलियों से उधर लिए थे ..
कुछ सफ़क पर फैली
लालिमा समेटी थी
इन आँखों में मैंने ..
और हाँ
फूलो से भी
मिलना हुआ था मेरा
नजरो ने उनसे भी
उधारी कर ली ...
सोचा था
सजा कर एक ख़्वाब
बाँट दूँगी सबको ..
महकेगी फिजाओं में
उस एक ख़्वाब कि खुशबू ......
आदत से मजबूर
छलक ही गए ये आंसू पलकों से .
धुल गया वो बिन सजा ख़्वाब
कितने फीके निकले सारे रंग ..
और मैं बेकार में कर्जवान हो गयी.
बहुत उम्दा भाव!
ReplyDeletewow...great!
ReplyDeleteChori khoobsoorat hai, sajawat bhi aur Karz bhi...cute nazm hai
ReplyDeletehamara comment kidhar hai .....publish kyon nahi kiya ?
ReplyDeletehamara comment kidhar hai .....publish kyon nahi kiya ?
ReplyDeleteare yaar show nahi hue comment tumhare ..abhi hue hain ..kal ki date n timing k saath hehehe
ReplyDeletethnks a lottt :)
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