Sunday, July 4, 2010

मोहब्बत



चाहत जिन्दगी कि और हर पल का मरना
छटपटाती सी आरजू ..मगर मन्नत नहीं करना

बिन बात के रोना और सिसकना चुपके चुपके
यूँ जार जार होकर पल पल का बिखरना

तमाम दर्द मुट्ठी में लेकर यूँ जोरो से लेना भींच
जैसे किसी तडफते परिंदे को हाथो से क़त्ल करना

हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना

हर पल कि बेख्याली में बुनना रोज ख़्वाब नया
जैसे माटी के खिलोनो में रोज नया रंग भरना

मोहब्बत सिखा देती है मासूम दिल को
ये सब गुनाह .... बहुत संजीदगी से करना..

vandana singh
7-6 -2010

7 comments:

  1. bahut shaandar, jaandaar, Bole to FULLON :-)

    बिन बात के रोना और सिसकना चुपके चुपके
    यूँ जार जार होकर पल पल का बिखरना

    good one

    हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
    बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना

    this one is best

    ReplyDelete
  2. बिन बात के रोना और सिसकना चुपके चुपके
    यूँ जार जार होकर पल पल का बिखरना

    तमाम दर्द मुट्ठी में लेकर यूँ जोरो से लेना भींच
    जैसे किसी तडफते परिंदे को हाथो से क़त्ल करना

    हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
    बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना



    wallahs! kya baat hai. bahut achchha likha hai, padh kar mazaa aa gaya

    ReplyDelete
  3. kya baat kya baat kya baat!

    हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
    बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना

    हर पल कि बेख्याली में बुनना रोज ख़्वाब नया
    जैसे माटी के खिलोनो में रोज नया रंग भरना

    मोहब्बत सिखा देती है मासूम दिल को
    ये सब गुनाह .... बहुत संजीदगी से करना.. beautiful lines...you reach heart..:)

    ReplyDelete
  4. thanks a lott aap sabhi ka yahan tak aane or sarahne ke liye thanks :)

    ReplyDelete
  5. तमाम दर्द मुट्ठी में लेकर यूँ जोरो से लेना भींच
    जैसे किसी तडफते परिंदे को हाथो से क़त्ल करना

    हर लम्हा तय होती मुकम्मल सजाएँ
    बेजुबां चीखों को खुद में दफ़न करना
    लाजवाब
    मोहब्बत सिखा देती है मासूम दिल को
    ये सब गुनाह .... बहुत संजीदगी से करना. वाह बहुत खूब बधाई वन्दना जी।

    ReplyDelete
  6. हर पल कि बेख्याली में बुनना रोज ख़्वाब नया
    जैसे माटी के खिलोनो में रोज नया रंग भरना
    क्या ख्वाब हैं ..
    क्या एहसास हैं ..
    बहुत खूब

    ReplyDelete
  7. मोहब्बत सिखा देती है मासूम दिल को
    ये सब गुनाह .... बहुत संजीदगी से करना..

    sahi farmaya.... khub likha hai..

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...