इस चाँद से ये कह दो ज्यादा ना मुस्कुराये
ओकात में रहे ........दिल मेरा ना जलाये ..
मालूम है हकीकते बज्म ऐ आसमां कि ..
भीड़ में अकेला ,कब कोई तारा टूट जाये ..
पल पल पिघलती है रात अंधेर कि लो में ..
जुगनूं है कश्मकश में ..कैसे रौशनी बचाए
आसमां कि चादर पर बिखरा जो पड़ा है
ये मोतियों का खजाना उफक लाद ले जाए..
हर रोज एक कटारी चलती हैं चाँद पर
नम आँखों से चांदनी भला कैसे मुस्कुराये..
वन्दना लाजवाब---
ReplyDeleteपल पल पिघलती है रात अंधेर कि लो में ..
जुगनूं है कश्मकश में ..कैसे रौशनी बचाए
आसमां कि चादर पर बिखरा जो पड़ा है
ये मोतियों का खजाना उफक लाद ले जाए..
दिल को छू गयी ये पाँक्तियाँ। शुभकामनायें
हर रोज एक कटारी चलती हैं चाँद पर
ReplyDeleteनम आँखों से चांदनी भला कैसे मुस्कुराये..
' सच कहा जब चांदनी की ही आंखे नम हो तो ..."
regards
aapka about me- संगत कवियों की मिल गयी मुझे... मानो झूठ की इस जागीर में.. सच्चाई के नजराने मिल गए.. मेरी गुमनाम राहों को सफ़र सुहाने मिल गए.. खुद को कवि कहूं ,इतनी तो ओकात नहीं मेरी.. बस खुद से बतियाने के मुझे अब बहाने मिल गए...:)
ReplyDeletebahut pasand aya.
मालूम है हकीकते बज्म ऐ आसमां कि ..
भीड़ में अकेला ,कब कोई तारा टूट जाये ..
पल पल पिघलती है रात अंधेर कि लो में ..
जुगनूं है कश्मकश में ..कैसे रौशनी बचाए
bahut sunadr panktiya.
nirmala ji ..bahut bahut shukriya :)
ReplyDeleteseema ji ..thanks a lott :)
ReplyDeletevivek ..bahut bahut shukriyaa yahan tak aane k liye :)
ReplyDeleteइस चाँद से ये कह दो ज्यादा ना मुस्कुराये
ReplyDeleteओकात में रहे ........दिल मेरा ना जलाये
-बहुत सही!!
हर रोज एक कटारी चलती हैं चाँद पर
ReplyDeleteनम आँखों से चांदनी भला कैसे मुस्कुराये..
beautiful lines...you are a true poet!
udan tashtri.... thnks a lott
ReplyDeletesaumya ..thanks a lott soumya for the compliment :)
ReplyDeletebahut hi sunder ... lajawab ...par ओकात में रहे ........दिल मेरा ना जलाये .. yaha par itna gussa kyo :O
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