Thursday, July 29, 2010




हाल ऐ दिल कभी मैंने ..तमाम ..नहीं लिखा
लिखा सब कुछ ,कुछ भी तेरे नाम नहीं लिखा

आँखों कि कौर क्या बताएगी इन आईनों का सच
भीगी पलकों का कभी मैंने इंतकाम नहीं लिखा

आँखें बंद करके तेरा सजदा जब चाहे कर लेती हूँ
इस सूरत ऐ खुदाई का चर्चा कभी सरेआम नहीं लिखा

एक जुस्तजू सर झुकाए भटकती है दरबदर
दिल कि मन्नतों का कभी कोई आयाम नहीं लिखा

ऐ जिन्दगी तेरे नतीजो से हार जाये वजूद मेरा
इतना कमजोर तो खुदा ने अपना अंजाम नहीं लिखा

12 comments:

  1. ऐ जिन्दगी तेरे नतीजो से हार जाये वजूद मेरा
    इतना कमजोर तो खुदा ने अपना अंजाम नहीं लिखा

    -बहुत खूब!

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  2. आँखें बंद करके तेरा सजदा जब चाहे कर लेती हूँ
    इस सूरत ऐ खुदाई का चर्चा कभी सरेआम नहीं लिखा

    so beautiful frindzzzzzz :) ... puri gazal bahut sunder hai... keep it up..

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  3. आँखें बंद करके तेरा सजदा जब चाहे कर लेती हूँ
    इस सूरत ऐ खुदाई का चर्चा कभी सरेआम नहीं लिखा

    bahut badhiya sher vandu ....


    aur "aawam " ka matlab hota hai ....janta...public...tumne kisi aur sense me use kiya hai shayd...

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  4. AnonymousJuly 29, 2010

    kya khub likha hai...
    waah
    आँखों कि कौर क्या बताएगी इन आईनों का सच
    भीगी पलकों का कभी मैंने इंतकाम नहीं लिखा ..
    behtareen...

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  5. @ all ..thanks a lot for coming ...rachna ko srahne ka bahut bahut shukriya :)

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  6. @swapnil .....thnks ...haan vo aayaam or avaam me fark samjhne me galti kardi thi ..abhi sahi kar liya ..thnks a lott :)

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  7. wow....superb....bauhat accha likha hai!

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  8. आँखों कि कौर क्या बताएगी इन आईनों का सच
    भीगी पलकों का कभी मैंने इंतकाम नहीं लिखा
    अच्छी ग़ज़ल, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है।

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  9. superb yaar.....kaun coach kar raha hai tumhe...ultimate sachchi

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  10. ऐ जिन्दगी तेरे नतीजो से हार जाये वजूद मेरा
    इतना कमजोर तो खुदा ने अपना अंजाम नहीं लिखा

    वाह....बहुत खूबसूरत

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  11. आँखें बंद करके तेरा सजदा जब चाहे कर लेती हूँ
    इस सूरत ऐ खुदाई का चर्चा कभी सरेआम नहीं लिखा


    Woooooooooooooooooow....Har ek sher bahut hi accha likh ahai yaar. Par ye wala to bahut hi dhaansu hai. :)

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  12. Its really awesome..
    Sometimes if it is tried, feeling could be casted into words!!!
    Great.

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...