इस दुनिया के मेले कितने गजब से हैं
मगर रिश्तो के हूजूम बड़े अजब से हैं ..
सूरत ए खुदाई कितनी मूरतो में पुजती है यहाँ
जानें सब हैं ..के ताल्लुक उसी एक रब से हैं ..
वो लम्हों कि शरारतें अब हमें याद नहीं
मत पूछ के हमें तुझसे मोहब्बत कब से है
दिल को ना कुछ देखने कि जिद हो गयी शायद ..
एक नजर भर के तुझे देखा जब से है
सूनी सूनी सी थी मेरे मन कि नगरिया
रहने लगी बड़ी चहल पहल यहाँ तब से है ...
एहसासों कि मेहरूमियत तो क्या कहियेगा
ये दिल में रहते बड़े ही अदब से हैं
परिभाषाएं कौन देगा पलकों कि नमी को
कोंन जानेगा ये अश्क कितने बेसबब से हैं.
परिभाषाएं कौन देगा पलकों कि नमी को
ReplyDeleteकोंन जानेगा ये अश्क कितने बेसबब से हैं.
beautiful frindzzzz :) nice creation ...
ऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ, क्षमा चाहूँगा,
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