चांदनी आज ..
मेरे आँचल में.
सब सितारे छुपा गई,
आज चाँद ..
उस महफ़िल में
अकेला...
मूह लटकाए बैठा है.
गीत, ग़ज़ल, नज्म ..ये सब मेरी साँसों कि डोर, महंगा पड़ेगा बज्म को मेरी खामोशियों का शोर ! --- "वन्दना"
तुम्हे जिस सच का दावा है वो झूठा सच भी आधा है तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं कोरे मन पर महज़ लकीर...
wow!!...nice pic and beautiful thought
ReplyDeletedekho....wo chaand mera hai.....muha nahi latkaaye baitha hai soch raha hai chandni ke baare mein :-)
ReplyDeletebahut din baad idhar aaya..blog ka svaroop kaafi badla hua hai,nikhra hua hai doosre shabdo me...
ReplyDeletelekhan shailee me bhi ek nayaapan dikha