बहाए हैं इन आँखों से अश्क इतने
की अपनी रूह को मैंने तर कर लिया है ....
जो खुआब आसमां में पंछी बनकर उड़ते थे ,
उनको अब खुद में कैद कर लिया है ....
उसके अहसासों ने मुझको इतना आजमाया है ,
की उसकी यादो से भी वास्ता अब कम कर लिया है ....
दर्द जब से जुदाई का अपना लिया है मैंने ,
अब कोई भी दर्द मुझे गवारा नहीं लगता ........
*अपनी मोहब्बत को जब से दिल में दफ़न कर दिया है ,
तब से कोई भी दरिया मुझे खुद से गहरा नहीं लगता ............
**सोचती हूँ, तराने तो अपने भी मशहूर हो गए होते ,
गर जज्बातों पर दस्तूरों का पेहरा नहीं लगता.....
गीत, ग़ज़ल, नज्म ..ये सब मेरी साँसों कि डोर, महंगा पड़ेगा बज्म को मेरी खामोशियों का शोर ! --- "वन्दना"
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तुम्हे जिस सच का दावा है वो झूठा सच भी आधा है तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं कोरे मन पर महज़ लकीर...
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तुम्हे जिस सच का दावा है वो झूठा सच भी आधा है तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं कोरे मन पर महज़ लकीर...
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जितना खुद में सिमटते गए उतना ही हम घटते गए खुद को ना पहचान सके तो इन आईनों में बँटते गये सीमित पाठ पढ़े जीवन के उनको ही बस रटत...
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वफायें ..जफ़ाएं तय होती है इश्क में सजाएं तय होती हैं पाना खोना हैं जीवन के पहलू खुदा की रजाएं.. तय होती हैं ये माना... के गुन...
सही ।
ReplyDelete**सोचती हूँ, तराने तो अपने भी मशहूर हो गए होते ,
ReplyDeleteगर जज्बातों पर दस्तूरों का पेहरा नहीं लगता.....
badhia likha hai, dard se labrez ehsason ka guldasta.
Ek shabd -" behtareen"
ReplyDeleteअपनी मोहब्बत को जब से दिल में दफ़न कर दिया है ,
ReplyDeleteतब से कोई भी दरिया मुझे खुद से गहरा नहीं लगता ............
kya behatreen shair hai !! wah
achhi rachna hai aapki.Abhi ek hi kavita padhi hai.aage aur bhi padhne ki koshish karoonga.
ReplyDeleteBahut achchh likha hai.
Navnit Nirav
shukrya aap sab ka sahrane ke liye or apna keemti vakt is blog par dene k liye
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है अच्छे भाव और सुन्दर अभिव्यक्ति है
ReplyDeleteबस दूसरी लाइन में रूह शब्द का दोहराव कुछ अटपटा लगा
की अपनी रूह-रूह को मैंने तर कर लिया है ....
वीनस केसरी
dhanyavad kesri ji is baat par gor karne k liye
ReplyDeleteaasha hai aage bhi aap ese hi margdarshan karte rahenge
**सोचती हूँ, तराने तो अपने भी मशहूर हो गए होते ,
ReplyDeleteगर जज्बातों पर दस्तूरों का पेहरा नहीं लगता.....
hhhmmmm.....ye nazm bhi direct dil se aayi hai. Bahut hi bahdiya nazm hui hai Vandana.