Sunday, May 3, 2009

परिभाषा कवि की (ख़ुद के नजरिये से )

जब वैराग्य को पाया तो दुनिया छूटी ,
दुनिया छूटीं तो गुमनाम हुआ .
जो वैराग्य को छोडा -तो खुद से बिछडा
खुद से बिछडा तो विरह पाई ,
विरह मिली तो बदनाम हुआ *
न विरह छूटी , न वैराग्य गया
मैं दोनों का दास भया
मिट गयी मन की रसना सारी,
अब तो कवि मेरा नाम भया .......

2 comments:

  1. kaviyo ke upar likhi gayi is tarah ki kavitaayein bahut achhi lagti hai

    akhiri pankti mein kavi ki spelling galat ho gayi hai wo sudhar le

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  2. good one! aap likhti rahiye hum padhte rahengay

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