Friday, August 26, 2011

त्रिवेणी



खुद से बाहर खोजा  तो खोया ही खोया 
खुद में अगर  झाँका  तो पाया ही पाया  


एहसासों कि दुनिया खुद से बाहर नहीं मिलती !!

3 comments:

  1. poori duniya hi ehsaason ke jadu se bani hai...

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  2. मन की गहराई को बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! आपकी लेखनी को सलाम

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...