Sunday, August 14, 2011

त्रिवेणी



वक्त कि छोटी सी भूल कोई गुनाह बने 
 इससे पहले ही जिन्दगी ने कान खींच लिए 

माँ भी बचपन में ऐसा ही करती थी ना  !


- वंदना

4 comments:

  1. बहुत ही अच्छी पंक्तिया...

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  2. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

    वाह...खूबसूरत रचना...
    नीरज

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  3. बहुत प्यारी पंक्तियां....

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...