जैसे किस्मत का अपनी सितारा देख लेते हैं
टूटकर गिरता हुआ जब तारा देख लेते हैं
बहुत खामोश जब कोई किनारा देख लेते हैं
हर रिश्ते का बिगड़ता जब नजारा देख लेते हैं
जी तड़प उठता है ताउम्र माँ के सजदे को
जब कभी कोई बच्चा बेसहारा देख लेते हैं
गगन में जब कोई पंछी आवारा देख लेते हैं
अपना ही ठिकाना कहीं नजर नही आता
बाकी तेरी आँखों में जंगल सारा देख लेते हैं
वंदना
kya baat hai vandna ji
ReplyDeletejannat hi loot li aapne
'हर शै कहती है टूट जाओ ,क्या करे टूटना नहीं आता '..आज की सुबह आपकी रचानों से सुंदर हो गयी---
ReplyDeleteजैसे किश्मत का जब सितारा देख लेते हैं ------/
शानदार ग़ज़ल--को पुनः सत्कार /
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ReplyDeleteहमारीवाणी पर पोस्ट को प्रकाशित करने की विधि
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बहुत खुबसूरत ग़ज़ल| धन्यवाद|
ReplyDeleteबस एक शब्द - "वाह" - बहुत अच्छा लगा वन्दना जी आपको पढ़कर - सचमुच खुशी हुई। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
खूबसूरत ... Lajawaab gazal ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गजल…
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई वंदना जी
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