जिंदगी कि राह में अकेला कर दिया हमको
फिजूल कि बस उन दो चार मुलाकातो ने ..
धंस गयी दीवारे बिखर गए सब छप्पर
क्या किया देखो , बिन मौसम बरसातो ने ..
कभी मुसव्विर * तो कभी शायर बनाया हमको
तेरे तसव्वुर से खेलती तमाम उदास रातों ने ..
हमको ही रफाकत का कुछ शोक था यारो
सलीका सिखा दिया अब इन बेनाम नातों ने
बढ़कर ही दिया है बढ़कर ही लिया हैं
मार डाला जिंदगी तेरी इन सौगातो ने ..
दिल जला दिया शायद आज फिर किसी का
मेरे लहजे को जहर करती इन कडवी बातों ने ..
लाजवाब ग़ज़ल!
ReplyDeleteखुबसूरत शेर ,दिल ने कहा वाह वाह
ReplyDeletelajvab sher ,prasanshniy .badhayi ji
ReplyDeletevaah ji vaah
ReplyDeletewaaaaaaaah
ReplyDeleteवाह .. लाजबाब !!
ReplyDeleteबहुत उम्दा गजल!
ReplyDeleteबधाई!
सुंदर है
ReplyDeletesaugaaton vali baat khoob kahi...
ReplyDeletevery expressive ......
ReplyDeleteshaandar gazal.
ReplyDeletebahut hi sudnar gazal .
ReplyDeleteek ek sher kuch apna sa...
badhayi .
मेरी नयी कविता " परायो के घर " पर आप का स्वागत है .
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html