Saturday, April 23, 2011

कभी मुसव्विर * तो कभी शायर बनाया हमको





जिंदगी कि राह  में अकेला  कर दिया हमको 
फिजूल  कि बस उन दो चार  मुलाकातो  ने ..

धंस गयी दीवारे बिखर गए सब  छप्पर 
क्या किया  देखो , बिन मौसम बरसातो ने ..

कभी मुसव्विर * तो कभी शायर बनाया हमको 
तेरे तसव्वुर से खेलती तमाम उदास रातों ने ..


हमको ही रफाकत का कुछ शोक था यारो 
सलीका सिखा दिया अब इन बेनाम नातों ने 

बढ़कर ही दिया है   बढ़कर ही लिया हैं 
मार डाला जिंदगी   तेरी इन सौगातो ने ..

दिल जला दिया शायद आज फिर किसी का 
मेरे लहजे को जहर करती इन कडवी बातों ने ..


musavvir = chitrkaar 

12 comments:

  1. खुबसूरत शेर ,दिल ने कहा वाह वाह

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  2. lajvab sher ,prasanshniy .badhayi ji

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  3. bahut hi sudnar gazal .

    ek ek sher kuch apna sa...

    badhayi .

    मेरी नयी कविता " परायो के घर " पर आप का स्वागत है .
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...