न हम बोलते हैं न हमारे राज़ बोलते हैं
कलम बोलती है ये अल्फाज़ बोलते हैं !
बोलती है ज़हन में कैद एक तरन्नुम
साँसों में बसे ये सब साज़ बोलते है !
गूंजता है लबो पे जब तराना कोई
ज़ब्त के वो सारे अंदाज़ बोलते है !
कटे पंख देखते है कोई उंची अटारी
पंछी के ख्याल ए परवाज़ बोलते हैं !
चलो देखें ग़ज़ल कि रगों में उतरकर
किस तरह ये गूंगे अल्फाज़ बोलते हैं !!
वन्दना
बहुत सुन्दर ग़ज़ल!
ReplyDeleteलिखती रहिए, कलम निखरती जाएगी!
gunge alfaaz maun hoker bahut kuch kah gaye ....
ReplyDeleteकवियों की रचनाओं का अनमोल संग्रह का संपादन मैं पुनः कर रही हूँ , सबकी तरफ से एक निश्चित धनराशि का योगदान
है ... क्या शामिल होना चाहेंगे ?
1) इस पुस्तक में 25-30 कवियों/कवयित्रियों की प्रतिनिधि कविताओं को संकलित की जायेंगी।
2) इस पुस्तक का संपादन रश्मि प्रभा करेंगी।
3) एक कवि को लगभग 6 पृष्ठ दिया जायेगा
4) सहयोग राशि के बदले में पुस्तक की 25 प्रतियाँ दी जायेंगी।
5) सभी पुस्तकें हार्ड-बाइंड (सजिल्द) होंगी और उनमें विशेष तरह कागज इस्तेमाल किया जायेगा।
6) यदि कोई कवि 6 से अधिक पृष्ठ की माँग करता है या उसकी कविताएँ 6 से अधिक पृष्ठ घेरती हैं तो उसे प्रति पृष्ठ रु 500 के हिसाब
से अतिरिक्त सहयोग देना होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी कवि को 10 पृष्ठ चाहिए तो 4 अतिरिक्त पृष्ठों के लिए रु 500 X 4= रु 2000
अतिरिक्त देना होगा
7) यदि कोई कवि 25 से अधिक प्रतियाँ चाहता है तो उसे अभी ही कुल प्रतियों की संख्या बतानी होगी। अतिरिक्त प्रतियाँ उसे
अधिकतम मूल्य (जो कि रु 300 होगा) पर 50 प्रतिशत छूट (यानी रु 150 प्रति पुस्तक) पर दी जायेंगी।
8) यदि किसी कवि ने अतिरिक्त कॉपियों का ऑर्डर पहले से बुक नहीं किया है तो बाद में अतिरिक्त कॉपियों की आपूर्ति की गारंटी हिन्द-युग्म
या रश्मि प्रभा की नहीं होगी। यदि प्रतियाँ उपलब्ध होंगी तो 33 प्रतिशत छूट के बाद यानी रु 200 में दी जायेंगी।
9) कविता-संग्रह की कविताओं पर संबंधित कवियों का कॉपीराइट होगा।
10) सभी कवियों और संपादक को 20 प्रतिशत की रॉयल्टी दी जायेगी (बराबर-बराबर)
बहुत कुछ बोलते हैं अलफ़ाज़ ...सुन्दर गज़ल
ReplyDeleteकोमल भावों से सजी ..
ReplyDelete..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
भाव तो अच्छे हैं हर शेर में.
ReplyDeleteAchchhe bhaavon ke liye aapko badhaaee aur
ReplyDeletehubh kamna .
ACHCHHE BAAVON KE LIYE AAPKO BADHAAEE AUR
ReplyDeleteSHUBH KAMNA
बोलती है ज़हन में कैद एक तरन्नुम
ReplyDeleteसांसों में बसे ये सब साज़ बोलते हैं.
.......... इतनी सालिम बहर में इतनी अच्छे शेर..बहुत खूब!
-----देवेंद्र गौतम
you have mastered the art dear...too good :)
ReplyDeletesunder gazalnuma rachna ,mere matanusar ise agazal kahna jyada uchit lgega
ReplyDeletesahityasurbhi.blogspot.com
sabhi dosto ka tahe dil se shukriyaa ..apna kimti vakt dene k liye or sarahne ke liyee ..:)
ReplyDeletebahut bahut dhnyavaad :)