Friday, February 25, 2011

त्रिवणी



मेरी जमीं .. मेरे हिस्से का जहान लेकर ,
एक मुट्ठी में चाँद ..एक में आसमान लेकर !


मुझे यकीं है जिंदगी इसतरह भी मिलेगी मुझसे !!

-वन्दना



6 comments:

  1. बिल्कुल जी अपने हिस्से की जमीन और आसमान सभी को मिलता है।

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  2. man ko chhoo gayi ,kuchh khas hai baat .badhiya

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  3. वाह क्या बात है ..बहुत खूब

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  4. बहुत खूब! दिल को छू गयी पंक्तियाँ...

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  5. Life, come to me slow!

    छोटे से तीन वाक्यों ने बहुत सुंदर विचार का पूरा व्याख्यान कर डाला!

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...