ये रंग बदलता मौसम
जब शाख़ के सब पत्ते
पड़ गए पीले!
सीने में तूफ़ान लिए
गुजर गयी हवा
झोकों का हाथ थामे
तमाम जंगल के सर से..
सब पात ज़मीन की
धूल चाटने को मजबूर !
बस एक और आंधी
बस एक और बारिश
इन सूखे पत्तों का
अस्तित्व मिटाने के लिए
ये उजड़े हुए पेड़
फिर एक नए बसंत की
राह ताकते हुए ..
उस एक पीड़ित
किसान की तरह
जिसने खो दी हो
अपनी फसल
बिना कुछ पाए !
इस आते जाते मौसम के
चक्रव्यूह को 'जीवन'
और
वक्त कि इस पलट- फेर को ही
'नीति' कहते हैं शायद !
~ वंदना
जीवन इस परिवर्तन के चक्रव्यूह में सदैव फंसा रहता है..बहुत सटीक और सार्थक प्रस्तुति.
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeletebohot khoob.....bohot hi sahi aur sundar nazm...great job dear:)
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
यथार्थ के धरातल पर लिखी सुन्दर रचना
ReplyDeleteमौसम का बहुत महत्व है हम सबके जीवन में ...और मौसम हमेशा बदलते रहते हैं ! अच्छी रचना !
ReplyDeletehmmn...destiny!!
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