Monday, June 7, 2010

कुछ मुक्तक

1

एक चुभन से सिहर उठे....

जरा सी पीर नहीं सह पाए हो..

बिखर गए एक ठोकर से ही,

इस पथरीले शहर में क्या नये नये से आये हो..



2

थोड़ी सी नजाकत ..थोड़ी सी होशियारी दे मोला ..

अदब से जीने कि हमें भी अदाकारी दे ..

सलीका मेरी नादानियों को बख्श

हमें भी थोड़ी सी समझदारी दे मोला ... |



3

कुछ नजरो ने कहा ..कुछ लबो पे रहा ..

कुछ छुपाना पड़ा हमको ना चाहते हुए..

कोई पूछे ना इन आँखों कि नमी का मतलब,

हम मिलते हैं हर किसी से मुस्कुराते हुए...






4



देकर दिलासे जिन्दगी समझाया करती है
मोहब्बत करता कोंन है, हो जाया करती है





5.


बाँध रहे यादो कि गठरी ..जैसे बचा कुचा सामान ..
जाने किस नगर को जाये ,अपने सपनो का ये यान

6 comments:

  1. पहला ही मुक्तक गहरी बात कहता है..

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  2. dil pukar baithta hai use bar bar
    kalam kahan karta hai kisi ka intezar
    dil me jo baat utar aai hai kahin se
    jab tak na likh do--ye machalta hai bar bar

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  3. kush ji ....bahut bahut shukriya :)

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  4. govind ji ..bahut khoobsoorat bat kahi aapne thnks a lottt :)

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  5. बाँध रहे यादो कि गठरी ..जैसे बचा कुचा सामान ..
    जाने किस नगर को जाये ,अपने सपनो का ये यान


    kuch kuch dohe jaisa hai ye..badhiya likha hai vandna..aur wo maula wali baat par nida faazli yaad aa gaye.. dekho wo kya kahte hain ..

    garaj baras pyasi dharti ko fir paani de maula
    chidiya ko daane bachhon ko gud dhaani de maula

    do aur do ka jod humesha chaar kahaan hota hai
    soch samjh walon ko thodi naadani de maula

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  6. wow!!!....all are great...loved all....hats off!

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...