शायद कल बरसात फिर होगी मगर ,यूँ
गूँज उठी धरती जिसकी चीखो से
ऐसा तड़पता हुआ ये बादल ना मिलेगा...
अपनी निस्वार्थ इस ममता कि पावन गोद में
मुझको रो लेने दे माँ तू दो पल लिए ..
मेरे अश्क जमीं पे गिरके रह जायेंगे कल
जो सोख ले सारी पीर मुझे वो आँचल ना मिलेगा...
कोई इल्तजा भी ना बाकी रह जाए
जितना हो सके उतना तडपाइए ...
नम आँखे मिलेंगी बहुत तुमको मगर
मेरे अश्को से तरबदर ये काजल ना मिलेगा..
कोई अरमाँ भी ना बाकी रह जाये
बेझिझक मुझपर हसाँ कीजिये ,
इस नजाकत भरे शहर में ,मेरा दावा है
तुमको कोई मुझ सा पागल ना मिलेगा ...
कोई इल्तजा भी ना बाकी रह जाए
ReplyDeleteजितना हो सके उतना तडपाइए ...
नम आँखे मिलेंगी बहुत तुमको मगर
मेरे अश्को से तरबदर ये काजल ना मिलेगा....superb
कोई अरमाँ भी ना बाकी रह जाये
बेझिझक मुझपर हसाँ कीजिये ,
इस नजाकत भरे शहर में ,मेरा दावा है
तुमको कोई मुझ सा पागल ना मिलेगा ... milega...bahut bada milega ye mera dawa hai :-)
अपनी निस्वार्थ इस ममता कि पावन गोद में
मुझको रो लेने दे माँ तू दो पल लिए ..
मेरे अश्क जमीं पे गिरके रह जायेंगे कल
जो सोख ले सारी पीर मुझे वो आँचल ना मिलेगा.. so sweat
दो पल के लिए जरा गोर से सुन लो ये शोर ..
शायद कल बरसात फिर होगी मगर ,यूँ
गूँज उठी धरती जिसकी चीखो से
ऐसा तड़पता हुआ ये बादल ना मिलेगा... Fantastic
waah bahut khub....
ReplyDeletebehtareen shabdon ke saath khoobsurat rachna.....
wow...great piece...each n evry para is very touching..
ReplyDeleteBAHUT BAHUT SHUKRIYAA AAP SABHI KA YAHAN TAK AANE OR SARAHNE K LIYE ..THNKU SOO MUCH :)
ReplyDeleteउत्तम भाव लिए अच्छी रचना....
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