Saturday, February 6, 2010

कुछ छोटी कवितायेँ




चाँद ने भेजी है...
सितारों सजी पालकी,
निंदिया भी बांवरी
शरमा के जा बैठी........:)









चांदनी.. मेरे आँचल में..
सब सितारे छुपा गयी ...
आज चाँद
उस महफ़िल में
अकेला
मूह लटकाए बैठा है ...:)




3
इन्तजार में ...
पथराई आँखें,
बोझिल सितारे ..
मांग लायी है ,
अब उसे कहना...
बनके चाँद
मेरी नींदों में ना आयें..

4..
सांसों से लिखे है
कुछ पैगाम मैंने ...
हवा के हर एक
झोंके
पर,
नाम पता कुछ मालूम नहीं
बस इसी उम्मीद पर,
जो पढ़ पाए संदेसा मेरा..
रब ने बख्शी होगी
ये इनायत जरूर किसी एक को...




5 comments:

  1. सांसों से लिखे है
    कुछ पैगाम मैंने ...
    हवा के हर एक
    झोंके
    पर,
    नाम पता कुछ मालूम नहीं
    बस इसी उम्मीद पर,
    जो पढ़ पाए संदेसा मेरा..
    रब ने बख्शी होगी
    ये इनायत जरूर किसी एक को...

    bahut pyari abhivyakti.

    ReplyDelete
  2. सांसों से लिखे है
    कुछ पैगाम मैंने ...
    हवा के हर एक झोंके पर,
    नाम पता कुछ मालूम नहीं
    बस इसी उम्मीद पर,
    जो पढ़ पाए संदेसा मेरा..
    रब ने बख्शी होगी
    ये इनायत जरूर किसी एक को...

    किस्मत वाला होगा जिसने आपका पैगाम पढ़ा होगा .... प्रेम के कुछ कोमल लम्हों को समेत कर लिखी रचना ...........

    ReplyDelete
  3. yogesh ji ..nd naasva ji ..bahut bahut shukriya sarahne k liye ....:)

    ReplyDelete
  4. loved the 2nd one n 4th one the most.....hats off 4 both....keep writing..

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...