Thursday, January 28, 2010

बोझिल रात



नींद छोड़ गयी मुझे अकेला इन गूंजते चींखते सन्नाटो में..
चाँद भी मेरी तरह सितारों के जश्न का शोर सुनता रहा
काटी है कुछ इस कदर.. ये बोझिल रात ...के
ख्यालो का काफिया मैं उधेड़ती रही वो बुनता रहा ..

चांदनी बिखेरती रही अपनी तबस्सुम से ओस के मोती..
चाँद सितारों से नजर चुराकर लबो से एक एक चुनता रहा....
यादों के आलम ...एक गम कि पोटली मेरे सिराहने छोड़ गए
एक कठोर सा हिम... मेरी आँखों में ...पिघलता रहा ..

कुछ अजनबी सदायें ...ख़ामोशी से डराती रही
एक आगाज रह रह कर के दिल पे दस्तक करता रहा
एक ख़्वाब... कुछ सहमा ..कुछ घबराया सा ...
मेरी चंचल घुंघराली लटो कि तरह पलकों से आके उलझता रहा..

शाम मैं देर तक तनहाई संग बैठी ...किनारे कि नमी में
कुछ बेनाम पैगाम लिखती रही....... रेत पढता रहा
धुल गए सब अफ़साने और सबब किनारों ने बताया ...
के रात भर समंदर लहरों के संग ठिठोली करता रहा ...

बुझ गए जब गाँव के सब दिए .....गुनगुनाती हवाओ में
एक जुगनूँ ...तीरगी संग आँख मिचोली खेलता रहा
शुक्रिया किया आज नींद का मैंने. ..मगर मैं इस रात कि..
अकेली गवाह ना थी.. एक उल्लू भी साख पे बैठा सब देखता रहा

vandana
1/28/2010



8 comments:

  1. चांदनी बिखेरती रही अपनी तबस्सुम से ओस के मोती..
    चाँद सितारों से नजर चुराकर लबो से एक एक चुनता रहा....
    यादों के आलम ...एक गम कि पोटली मेरे सिराहने छोड़ गए
    एक कठोर सा हिम... मेरी आँखों में ...पिघलता रहा ..

    BAHUT SUNDER... OR APKA ABOUT ME BHI BAHUT SHANDAR HAI... BAHUT KHUB...

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  2. ek- ek line acchi lagi....behtareen...lagta hai bahut man se likha...ye to mera fav hogaya....chori pakki:-)

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  3. एक ख़्वाब... कुछ सहमा ..कुछ घबराया सा ...
    मेरी चंचल घुंघराली लटो कि तरह पलकों से आके उलझता रहा..

    बेहद उम्दा ........ एहसास की भीगी चादर ओढ़ कर जैसे ...... पलकों के मुहाने कोई आ बैठा ........ बहुत ही लाजवाब लिखा है .........

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  4. नींद छोड़ गयी मुझे अकेला इन गूंजते चींखते सन्नाटो में..
    चाँद भी मेरी तरह सितारों के जश्न का शोर सुनता रहा
    काटी है कुछ इस कदर.. ये बोझिल रात ...के
    ख्यालो का काफिया मैं उधेड़ती रही वो बुनता रहा ..

    ab kya kahun aur kya na kahun is nazm ke baare mein????
    Har ek para itna accha hai ki bayaan karna mushkil hai vandana.
    Ab samajh mein aaya ki us raat tumhe neend kyon nahin aayi....ehehhehe

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  5. haseen raat ki haseen abhivyakti. bahut khoob.

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  6. ख्यालो का काफिया मैं उधेड़ती रही वो बुनता रहा .. wah!

    शुक्रिया किया आज नींद का मैंने. ..मगर मैं इस रात कि..
    अकेली गवाह ना थी.. एक उल्लू भी साख पे बैठा सब देखता रहा
    no comments...

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  7. bahut bahut shukriya aap sabhi ka yahan ta aane or sarahne k liye ...thanks a lot.:)

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  8. सुन्दर अभिव्यक्ति!

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...