Saturday, October 17, 2009

कुछ छोटी नज्मे

आँखे बंद करके मन के उजालो में खुद को परखते है

शिकवा आईने से हम किया नहीं करते .....

किसी की तोहफे में दी मुस्कुराहटो को लबो पे सजा लेते है

इनाम हम किसी का लिया नहीं करते .....

इस दिल की सुनहरी नींदों में जब ख्वाब झिलमिलाते है

आँखे मल के जाग उठती है हकीकत ए जिन्दगी ,

ज्यादा देर तक हम किसी भ्रम में जिया नहीं करते .......

2

इन जागती आँखों के चंद सपनो कि खातिर

मेरी नींदों को तिरस्कार मिले ,

दिल कि बिलखती ख्वाहिशो को मिले मेरी मूक विवशता

और हसरत मेरी लाचार मिले ...

ऐ जिन्दगी बदल दे ये अपनी तिजारत के कायदे

मुझे ये सौदें मंजूर नहीं...


दिल रोया है उन अजीब लम्हों को याद करके ....

जब दिल के दरवाजे पर तेरी दस्तक से

सोयी ख्वाहिशे इस तरह तिलमिला कर जागी थी ....

मानों किसी ने ठहरे पानी में पत्थर फेंका था ,,

कोई दुआ करे के उन्हें फिर नींद आ जाये

शायद अब खुदा तक मेरी अर्जी नहीं जाती ...

5 comments:

  1. vandana ji, behatareen nazmen hain. khaskar.....

    इन जागती आँखों के चंद सपनो कि खातिर

    मेरी नींदों को तिरस्कार मिले ,

    दिल कि बिलखती ख्वाहिशो को मिले मेरी मूक विवशता

    और हसरत मेरी लाचार मिले ...

    ऐ जिन्दगी बदल दे ये अपनी तिजारत के कायदे

    मुझे ये सौदें मंजूर नहीं...

    bahut khoob , badhaai.

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  2. किसी की तोहफे में दी मुस्कुराहटो को लबो पे सजा लेते है
    इनाम हम किसी का लिया नहीं करते .....

    ऐ जिन्दगी बदल दे ये अपनी तिजारत के कायदे
    मुझे ये सौदें मंजूर नहीं...

    कोई दुआ करे के उन्हें फिर नींद आ जाये
    शायद अब खुदा तक मेरी अर्जी नहीं जाती ...

    lajawab panktiyan vandana ji...

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  3. कोई दुआ करे के उन्हें फिर नींद आ जाये

    शायद अब खुदा तक मेरी अर्जी नहीं जाती .....

    bahut jyada attached hue ham is line se ....ek shabd...."bemisaal"

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  4. Teenon hi nazmein bahut hi khoobsurat hui hain vandana.
    aur 3rd wali to bas mind blowing hai....hats off.....

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  5. कोई दुआ करे के उन्हें फिर नींद आ जाये

    शायद अब खुदा तक मेरी अर्जी नहीं जाती ...bahut jajbati rachna lagi jo man ko chhu gai....

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...