Friday, May 8, 2009

कुछ मुक्तक

1 (मन का कहन )
मोंजों का मैं राही हूँ ,झोंके है पग मेरा
मैं किसी डाल ठहरा नहीं , हर एक पात पे मेरा डेरा


2
ऐ आसमां मुझे देखकर तू मुस्कुराया न कर
यूँ हंसकर मेरी बेबसी का मजाक उड़ाया न कर
होंसले पंखो के मोहताज नहीं मेरे ,
उडाने मेरी दिखा देंगी एक दिन तेरी छाती को चीरकर


ज़माने का नहीं हम वक़्त का लिहाज किया करते है ,
गम हो या खुशी जी भर के जिया करते है
बुराई के लिए हम बुराई से ज्यादा बुरे है
और अच्छाई को शीश झुकाकर नमन किया करते है


केवल उड़ते परिंदे ही खुआब नहीं देखा करते ,
पिंजरे में कैद चिडिया भी सपने बुना करती है
ये बात सच है की वो आसमां के उस पार की दुनिया का शोकीन है ..
और वो इसी दुनिया के दीदार को तरसती है


जिन्दगी का दिया एक गम ,जीवन भर भुलाया जा नहीं सकता
ईमान और चरित्र पर लगा दाग कभी मिटाया जा नहीं सकता
मोहब्बत की गलियों से जरा सम्भलकर गुजरना
गर छूट गया किसी मोड़ पर दिल ,तो वापस लाया जा नहीं सकता


मजबूरियों के पर काट कर.. सपनो को उड़ना आ गया,
हर बेबसी से निकलकर.. इस दिल को मचलना आ गया
कैसे रोकेगा अब ये जमाना हमें ......
बेडियों की झनझनाहट पर भी अब हमको थिरकना आ गया


वक्त की बेवफाई पे रोऊँ
या खुदा की रुसवाई पे रोऊँ
दे रही है दिलासे जिन्दगी की राहे मगर
क्या करूँ गर इस तनहा सफर पे न रोऊँ

16 comments:

  1. ज़माने का नहीं हम वक़्त का लिहाज किया करते है ,
    गम हो या खुशी जी भर के जिया करते है
    बुराई के लिए हम बुराई से ज्यादा बुरे है
    और अच्छाई को शीश झुकाकर नमन किया करते है

    केवल उड़ते परिंदे ही खुआब नहीं देखा करते ,
    पिंजरे में कैद चिडिया भी सपने बुना करती है
    sach hi to kahaa hai khaab per kisi ki bandish nahi hoti.

    wah kya baat hai!

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  2. बहुत हीं सुन्दर रचनायें है ये.

    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

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  3. AnonymousMay 09, 2009

    एक बेहतर शुरूआत....
    शुभकामनाएं....

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  4. अंतरजाल की हिंदी दुनिया में आपका स्वागत है!

    जब ज़िन्दगी की राहें दिलासे दे रही होती हैं,
    तो रोने की आवश्यकता नहीं रहती!

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  5. मजबूरियों के पर काट कर.. सपनो को उड़ना आ गया,
    हर बेबसी से निकलकर.. इस दिल को मचलना आ गया
    कैसे रोकेगा अब ये जमाना हमें ......
    बेडियों की झनझनाहट पर भी अब हमको थिरकना आ गया

    sabhi muktak behatareen . blog world men swagat shubhkaamnaon ke saath.

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  6. bahut bahut shukriya aap sab logo ka ...apne is blog ko apna keemti vakt diya...asha hai aap ase hi margdarshan karte rahene ..or apni pritikrya jatate rahenge ..dhanyavaad

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  7. ऐ आसमां मुझे देखकर तू मुस्कुराया न कर
    यूँ हंसकर मेरी बेबसी का मजाक उड़ाया न कर
    होंसले पंखो के मोहताज नहीं मेरे ,
    उडाने मेरी दिखा देंगी एक दिन तेरी छाती को चीरकर

    बहुँत ही सुन्दर और कशिश भरी रचना है...
    ये कैचिया हमें क्या खाक रोकेंगी..
    हम पंखो से नहीं हौसलों से उड़ते है.....
    यूं ही उड़ते रहिये आसमान के आगे जहाँ और भी है.... जहाँ ख्वाब पूरे होते है...
    यूं ही लिखते रहिये........

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  8. स्वागत है बहुत अच्छा लिखती है यैसे लिखते रहिय मेरी शुभ कामनाये आप के साथ है

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  9. इंसान का लेखन उसके विचारों से परिचित कराता है। ब्लोगिंग की दुनियां में आपका आना अच्छा रहा, स्वागत है. कुछ ही दिनों पहले ऐसा हमारा भी हुआ था. पिछले कुछ अरसे से खुले मंच पर समाज सेवियों का सामाजिक अंकेषण करने की धुन सवार हुई है, हो सकता है, इसमे भी आपके द्वारा लिखत-पडत की जरुरत हो?

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  10. ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है.....शुभकामनाएँ.........सुन्दर रचना.....

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  11. होंसले पंखो के मोहताज नहीं मेरे ,
    उडाने मेरी दिखा देंगी एक दिन तेरी छाती को चीरकर


    मोहब्बत की गलियों से जरा सम्भलकर गुजरना
    गर छूट गया किसी मोड़ पर दिल ,तो वापस लाया जा नहीं सकता


    waah kya baat hai.

    behtareen shayri.

    meri shubhkamnayen

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  12. हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है...

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  13. आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
    चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

    गार्गी

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  14. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.

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  15. Sada khush rahu, aur aisa he likhti rahu.
    Shubh kaamnaun wa aashirwad sahit
    AMBUJ CHAMOLI
    09685146969

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...