आसमान जिसमे कई छेद हैं ,चादर जो बेहद मैली है
एक टूटा हुआ कांच का टुकड़ा है पैर में धंसा हुआ
जिंदगी भीगता हुआ एक लंगड़ा मुसाफिर है !!
~ वंदना
गीत, ग़ज़ल, नज्म ..ये सब मेरी साँसों कि डोर, महंगा पड़ेगा बज्म को मेरी खामोशियों का शोर ! --- "वन्दना"
तुम्हे जिस सच का दावा है वो झूठा सच भी आधा है तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं कोरे मन पर महज़ लकीर...
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