मेरी साँसों में बसो मीठी सी हवा होकर
देखो अंधेरो के वास्ते कोई शुआ होकर
देखो अंधेरो के वास्ते कोई शुआ होकर
होके संजीदा ढूँढती है आवारगी मेरी
खो गया गगन में कोई परिंदा होकर
हर मोड़ पे रुक रुक के देखा किया हमने
जैसे कि चला हो कोई साथ साया होकर
बेनाम सी सदाओं ने आजमाया बेसबब
तुम भरम तोड़ चले झूठी जफा होकर
हमको हर गुनाह कि सजा मंजूर हुई
खुश रहेंगे हम भी तुमसे जुदा होकर
रोशन थी चिरागों कि तरह आँखों में मेरी
आज उड़ गयी वो इबादत भी धुंआ होकर
vandana
samudra aur gazal... tasweer is gazal ke saath ji uthi
ReplyDeleteAti Sundar .
ReplyDeletebadi khoobsoorati se apni bat kah di hai ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ख्याल्।
ReplyDeleteहोके संजीदा ढूंढती है, आवारगी मेरी
ReplyDeleteखो गया गगन में , कोई परिंदा होकर
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खूबसूरत शेर .....उम्दा अभिव्यक्ति
गजल बहुत सुन्दर है .कभी आप मेरे ब्लांग में भी आए मेरा हौसला बढे़गा धन्यवाद.
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