Saturday, September 12, 2009

" तू " ( सच न सही फ़साना तो है ...सपना ही सही सुहाना तो है)

"तू वो अफसाना है जिसे सबको सुनाने को दिल करता है
तू वो गजल है जिसे जुबां पर लाने को दिल करता है

तू वो गीत है जिसे बारबार गुनगुनाने को दिल करता है
तू वो नगमा है जिसे भरी महफिल में गाने को दिल करता है "

तू वो सपना है जिसे आँखों में सजाने को दिल करता है
तू वो खुसबू है जिसे सांसो में बसाने को दिल करता
है

तू वो दरिया है जिसमे डूब जाने को दिल करता है
तू वो एहसास है जिसमे सिमट जाने को दिल करता है

तू वो जाम है जिसे लबों तक लाने को दिल करता है
तू वो नशा है जिसमे होश गवाने को दिल करता है

तू वो परछाई है जिसे छू लेने को दिल करता है
तू वो राज है जिसे सबसे छूपाने को दिल करता है

तू चाहत है मेरी तुझे पाने को दिल करता है
तू मोहब्बत है मेरी तुझे दुनिया से चुराने को दिल करता है

तू आशकी है मेरी तेरे इश्क में खुद को मिटने को दिल करता है
तू हम राही है मेरा तुझे अपना बनाने को दिल करता है

मैं नही जानती "तू " क्या है ....
बस एक खुआब जिसे हकीकत बनाने को दिल करता है


9 comments:

  1. tu wo kavita hai jise baar baar gungunane ko dil karta hai. bahut umda kavita hai. badhai.

    ReplyDelete
  2. Waaaah.....aapka khwaab jaldi hi sach ho ye hi dua karte hain.... :)
    Ati sundar rachna.

    ReplyDelete
  3. प्रेम भरे भावों की सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    आप का यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है.....

    ReplyDelete
  4. bahut hi khubsurat chahat....

    ReplyDelete
  5. hamko to ye kuch sufiana type laga....mere hisaab se tumhara ye "Tu" God hai....... wahi beloved hai ...hai na ......behad khoobsoorat khyal aur bilkul lajawaab

    ReplyDelete
  6. ye rachna kuchh kam pasand aayi hamein... 'ajeeb si baat' wali baat nahi.. wo to bahut umdaa rachna hai aapki... shayad hamari expectations badh chuki hai

    ReplyDelete
  7. वंदना जी मै बस यही कहूँगा.....
    तेरी लेखनी वो है जिसे गुनगुनाने का मन करता है.....

    ReplyDelete
  8. plz AAp apni kavitao ko logo tak pahuchaye .Aap blogvani join kare aur waha pe apni kavitao ko publis kare ........plz kuchh kijia verna mai Aap ki kavitao ko apne blog pe publis kar dunga ......hahhahahah ..dariye mat Agar karunga to Aap ke name se

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...