गीत, ग़ज़ल, नज्म ..ये सब मेरी साँसों कि डोर, महंगा पड़ेगा बज्म को मेरी खामोशियों का शोर ! --- "वन्दना"
Wednesday, May 30, 2012
Tuesday, May 29, 2012
Monday, May 28, 2012
Sunday, May 27, 2012
Friday, May 25, 2012
गज़ल
बूँद बूँद में घुलकर हम भी बहता पानी हो जाएँ..
जिन्दगी को लिखते लिखते एक कहानी हो जाएँ !
मेरी आँखों के दर्पण में खुद को सवाँरा कीजिये..
इन शर्मीली सी आँखों का हम भी पानी हो जाएँ !
मुझको साँसे बख्श दो मैं धड़कन तेरी हो जाऊं..
तुम जो ये सौदा करलो जीने कि असानी हो जाएँ !
तुम राधा कि दीवानगी मैं हूँ मुरली कि तान..
अपनाकर इस प्रीत को हम रीत पुरानी हो जाएँ !
अल्फाज़ दिये मैंने अपनी धड़कन कि तहरीरों को..
अपनाकर इस प्रीत को हम रीत पुरानी हो जाएँ !
अल्फाज़ दिये मैंने अपनी धड़कन कि तहरीरों को..
तुम लबो से छू लो तो ये ग़ज़ल सुहानी हो जाएँ !
वंदना
Friday, May 18, 2012
ग़ज़ल
न दर्द न गिला न चुभन कोई
घुट के रह गयी है घुटन कोई !
शिद्दत से मुस्कुराईं हैं नम आँखें
है जरूर राज़ इनमे दफ़न कोई
खुद को खुद में न तुम कैद रक्खो
जला दे न तुमको जलन कोई
बनते उधड़ते ख्यालों के कसीदे..
ज्यों मची हो जहन में रुदन कोई
खिड़कियों से तेरी आदतन गुफ्तगू
क्या सुनती है तुझको पवन कोई ?
अपने गम से ना तुम हार जाना
देखो, पड़ने न पाए शिकन कोई
देखो, पड़ने न पाए शिकन कोई
जिधर से आता है घर में अँधेरा
आती है वहीं से ही किरन कोई !
Monday, May 14, 2012
Saturday, May 12, 2012
Saturday, May 5, 2012
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तुम्हे जिस सच का दावा है वो झूठा सच भी आधा है तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं कोरे मन पर महज़ लकीर...

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बंद दरिचो से गुजरकर वो हवा नहीं आती उन गलियों से अब कोई सदा नहीं आती .. बादलो से अपनी बहुत बनती है, शायद इसी जलन...
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1 ( मन का कहन ) मोंजों का मैं राही हूँ ,झोंके है पग मेरा मैं किसी डाल ठहरा नहीं , हर एक पात पे मेरा डेरा 2 ऐ आसमां मुझे देखकर तू मुस्कुरा...
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