Wednesday, January 10, 2018

खुद को छोड़ आए कहाँ, कहाँ तलाश करते हैं, 
रह रह के हम अपना ही पता याद करते हैं|

खामोश सदाओं में घिरी है परछाई अपनी 
भीड़ में  फैली इस तन्हाई से मगर डरते हैं| 

लहरों से कहाँ होगी मालूम ये  गहराई 
डूबने का डर छोड़ो तो नदी में उतरते हैं|


अना,बेबशी, गुरूर, खुद्दारी ,इन सबके बीच 
कितना मुश्किल है कहना कि तुझपे मरते हैं| 



~ वंदना

Tuesday, January 9, 2018



एहसासो के फटे पहरन पर रफू चाहता है
दिल का अँधेरा  चिराग़ ए आरज़ू चाहता है

तमन्ना तार तार है, दुआ का लिबाज़ मैला
किसी इबादत से पहले दिल वज़ू चाहता है

~ वंदना 

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...