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काश ! के जिन्दगी से आगे
हम एक कदम बढ़ाये
खुद को खुद से ले चले कहीं दूर
जहाँ अहम् कि बेडिया
मासूम सी ख्वाहिशो को
कभी जकड ना पायें ..
ना स्वार्थी से सपने
इन लम्हों को छीन ना पायें..
हर पल में बीतती उम्र ठहर जाये
किसी मासूम से लम्हे कि ठंडी छाँव में !
जहाँ हवा में उछलती ख्वाइशे
हर बेबशी को ठोकर मारती हुई
आसमां के सीने पर लिख दे
अपनी उसूलों कि तहरीर..
जो सूरज कि तेज किरणों कि तरह
चुभती रहे इस जहां कि आँखों में बेसक
कोई बादल कितना बरसले कितना भी गरजले
न मिट सके कभी वो लिखा हुआ सब कुछ
बिल्कुल मेरी हथेलियों पर बनी
चंद लकीरों कि तरह
जिसे रोज पढ़े ये जहाँ !
दिल को बेफिजूल किसी से इल्तजा ना हो
जहाँ बेबुनियाद कोई एहसास
दिल कि जड़े ना कुरेद पाए
कोई टीस सीने से उठकर जब्त होती हुई
गले कि रगों में दम ना तोड़ती हो ...
जहाँ किसी कि चाह ना सांस ले
निर्जीव सी हृदय पटल पर
जहाँ खुद को खोने कि निराशा
गुनाह बनकर साथ ना चलती हो
काश !के जिन्दगी से आगे
हम एक कदम बढ़ाये
खुद को खुद से ले चले कहीं दूर...
-वंदना