
वो झटक के मेरी नजर से ख़्वाब तोड़ गया,
पलकों पे मेरी ना सूखने वाला आब छोड़ गया ..
मेरी खुश्क आँखों को समंदर बख्सा जिसने,
लबो पे तरसती हुई एक प्यास छोड़ गया ..
लहरों कि रवानी में बहना सिखलाया मुझे ,
फिर हवाओं का जाने क्यूं रुख मोड़ गया..
देकर बेख्याली मुझको तमाम तन्हाई ले चला,
जागती नीदों में ..सोयी एक आश छोड़ गया..
मेरे सपनो के सितारे लाद चला एक जुगनूं
खामोश रातें और सूना आसमान छोड़ गया..
चाँद तारो कि कोई अपनी ख्वाइश कब थी,
बड़ी मासूम सी.. मेरी वो जिद तोड़ गया..