
वो छोड़ गया मुझको ..अजब लहरों के बवंडर में
के ना तो डूब ही पाए, ...उभरना हो गया मुश्किल..
गजब का नूर था उसकी उन शतिर निगाहों में
के नादाँ था ये दिल मेरा ..संभलना हो गया मुश्किल..
वो नजरो से कर बैठा कुछ सवालात मुश्क्किल से
ना हम कुछ कह ही पाए, ...मुकरना हो गया मुश्किल..
आईना हँसता है जाने किस जुदा अंदाज से मुझपर
क्या बताये आजकल क्यूं ..संवरना हो गया मुश्किल ..
मेरा मुजरिम है उसको खबर देना मेरे दोस्तों
दिया है जख्म एक ऐसा के भरना हो गया मुश्किल..
ये बेपत्वार सी जिन्दगी हमें मंजूर कब से थी.
ये बेपत्वार सी जिन्दगी हमें मंजूर कब से थी.
मगर अपना लिया इसको तो मरना हो गया मुश्किल ...