
ye rachna meri sabse pehli rachna hai ...:) isse pehle bhi kuch likha hoga jo ab yaad nahi ..ye rachna meri dayri k pehle panne se hai ..to ab yahi pehli kavita ka sthaan liye hue hai ...:)
मोहब्बत है हमें उस चाँद से जो अँधेरी रातो से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमको उस अन्धकार में डूबे गगन से जो तारो से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमें उस तन्हा आलम से जो तन्हाई से मोहब्बत करता है
मोहाबत है हमें सुबह के उस पहले नज़ारे से ..जो सूरज कि पहली किरण से मोह्हबत करता है
मोहब्बत है हमें मोसम कि उस नजाकत से जो हर मचलते दिल से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमको उस बादल से जो धरती से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमको उस समंदर से जो तड़पती प्यासी लहरों से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमें उस बहती नदिया से जो पानी कि सिसकियों से मोहब्बत करती है
मोहब्बत है हमें उन मोजो से जो तूफानों से मोहब्बत करती है
मोहब्बत है हमें उस भँवरे से फूलो से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमें उस गुलाब से जो कांटो से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमें उस कमल से जो कीचड से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमें अपने नादाँ दिल से जो जिन्दंगी के हर पहलू से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमें अपने ख्यालो से जो किसी कि यादो से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमें अपने सपनो से जो अनजान चेहरे से मोहब्बत करता है
मोहब्बत है हमको अपने दीवानेपन से जो मोहब्बत से मोह्हबत करता है...