Thursday, July 7, 2016

ग़ज़ल




पहले पहल ही दिल दुखता है जब चीज़ कोई खो जाती है
फिर हमको खोते  रहने की,  इक आदत सी हो जाती है

पानी में फेंका न करो  अपनी किसी इबादत को
 पहले सिक्के खोते हैं, और, फिर दुआ खो जाती है

कितनी देर ठहर सकेगी पलकों पर ये  पीर पुरानी
आँखों को मलते ही दिल में ,टीस नयी उग आती है

अपनी समझ पतवार ए जिंदगी, हम गुमाँ में रहते हैं
है जाना हमको वहीं जहाँ, ये लहर  हमें ले जाती है

कौन सुने साँसों की सरगम, दिल की ताल पहचाने कौन
कदम ताल का नाम जिंदगी , सो ये चलती जाती है



~ वंदना











1 comment:

  1. बहुत खूब कदम ताल करती जिंदगी चलती रहती है अपने सफ़र पर ...

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