Wednesday, August 24, 2011

त्रिवेणी







तेरी  हर  इनायत पे एतबार है  मुझे 
 मेरी जिंदगी का सच स्वीकार है मुझे 

तू अपने एतबार पे एतबार तो रख ! 

6 comments:

  1. वाह: बहुत सुन्दर..कम शब्दों में अधिक भाव...

    ReplyDelete
  2. यह विधा तो बहुत बढ़िया रही!
    अच्छा शेर लिखा है आपने!

    ReplyDelete
  3. हाँ, दूसरे से पहले अपने पर ऐतबार जरूरी है..

    सुंदर

    ReplyDelete
  4. तू अपने ऐतबार पर ऐतबार तो रख... वाह सुन्दर....
    सादर बधाई...

    ReplyDelete
  5. सच है अपने एइत्बार पर ही ऐतबार नहीं होता ..
    लाजवाब ...

    ReplyDelete
  6. जितने कम शब्द उतनी ही गहराई है...

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...